अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी
साधारण क़द काठी वाली, इक किशोरी
डरी नहीं महामारी से, पिता अपने घर लेकर आई,
मीलो साइकल करी सवारी, वो एक श्रवण कुमारी
अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी । ***(1)
मान हुआ अभिमान हुआ, देश की बिटियाँ जानी
हर्षाए आप और हम भी,पढ़ी खबर जब ये जानी,
बस कुछ ही दिन थे, बीते,
खबर फिर उसी की आई,
लाज ले, जान से मारी बिटियाँ सबको थी प्यारी
अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी । ***(2)
मान किया नहीं लाजों का,
ज्योत बुझ गई, नन्ही किरण की
नज़र खा गई उसे कोई काली,
दिल रोया, उठी चिंगारी सीने में
गले कट जालिम के लाउ, जिनने बिटियाँ
मारी
अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी । ***(3)
निष्कर्ष :-
हर घर के राजदुलारे जागो, नारी तो माँ भी जन्म देने वाली,
रक्षक बनो भक्षक नहीं, मान करो सम्मान करो हर बहन-बेटी,
माँ पत्नी अपनी हो चाहे, हो वो पराई
**** सौण परी