सोमवार, 16 दिसंबर 2024

पापा की परी

 पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 

परियां प्यारी खो गई, लीपी पुती चूने से, जहर भरा इनके हर अंग 

समय ने बदली चाल कलजुगी परियों ने खून दूसरो का पीना सिख लिया अब 

पापा की परी,  नहीं बन सकती क्या तुम अच्छी पत्नी और बहू  

                                      *** पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 

रंग बिरंगी तितली उड़े बगिया में, लेने हर फुल की सुगंध 

ऐ त्रिदशक सज्जा सुंदरी तुम नहीं कोमला 

सबला किया रक्षक नियम और कानून ने 

आड़ में इनकी तुम तो खेलने लगी जीवन से, बन जहरीला शूल 

                                       *** पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 

संगनी बन आई तुम सजीले नौजावा संग, दिल दिमाग 

सब चूर किया, रचे भयंकर प्रपंच, 

चिराग घर का देगी पर,  ये दुष्टा छीन रही उजाला घर  घर का 

अँधेरा कर उस चिराग को बुझाने लगी 

              *** पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 

अरे कलजुगी पिता कन्यादान 

ना बन पड़े तो कोई नहीं 

खाते मिल सब रसमलाई लूट कर दामाद कमाई 

 इतन पर भी पेट न भरता सिर नाचे ये खड़ी-खड़ी 

          *** पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 

बहुत दुखी कर रखा इन, पापा की परियों ने, 

घूमना फिरना, पत्ते चाटन बाहर के 

खूद खावे मेवा और  बांटे दानी बनी, अपने भाई  बन्दों में

भर भर ससुराल की मिठाई 

         *** पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 


परी के न जाने कितने रंग,  ब्याह रचाए किसी से

भाग जाए प्रेमी के संग, सासरे आए बस ले पैसे की प्यास,

घरलक्ष्मी की घनसुधा ने  प्रेम दिया बिसराए 

घर बसाने लाए  जिसे , हे राम वही काला सिया धुँआ कर घर उजाड़ने लगी

     *** पापा की परी तुम अपने पापा के घर ही बस भली 


शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी

 

अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी

साधारण क़द काठी वाली, इक किशोरी
डरी नहीं महामारी से, पिता अपने घर लेकर आई,
मीलो साइकल करी सवारी, वो एक श्रवण कुमारी   
अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी । ***(1)
 
मान हुआ अभिमान हुआ, देश की बिटियाँ जानी
हर्षाए आप और हम भी,पढ़ी खबर जब ये जानी,
बस कुछ ही दिन थे, बीते,
खबर फिर उसी की आई,
लाज ले, जान से मारी बिटियाँ सबको थी प्यारी
अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी । ***(2)
 
मान किया नहीं लाजों का,
ज्योत बुझ गई, नन्ही किरण की
नज़र खा गई उसे कोई काली,
दिल रोया, उठी चिंगारी सीने में
गले कट जालिम के लाउ, जिनने बिटियाँ मारी
अखबारों में खबर छपी, बन गई एक कहानी । ***(3)
 
निष्कर्ष :-
हर घर के राजदुलारे जागो, नारी तो माँ भी जन्म देने वाली,
रक्षक बनो भक्षक नहीं, मान करो सम्मान करो हर बहन-बेटी,
माँ पत्नी अपनी हो चाहे, हो वो पराई

                                                                        **** सौण परी

बुधवार, 5 अगस्त 2015

मेट्रो रेल

मेट्रो रेल

मेट्रो रेल में स्वागत आपका मीठी आवाज आती है
छूक छूक वाली रेल नहीं, ये रेल बहुत निराली है,
वातानुकूल डिब्बे है इसके, गर्मी नहीं सताती
बिना थकान बच्चो –बुज़र्गों सभी को, सुंदर सफर करती है
-------- छूक छूक वाली रेल नहीं, ये रेल बहुत निराली है (1)

 

आरक्षित रख डिब्बा महिला वर्ग का
नारी सम्मान किया, आधुनिकता के दौर में,
संस्कृति अपनी का एक नया प्रमाण दिया
-------- छूक छूक वाली रेल नहीं, ये रेल बहुत निराली है (2)

 

दौड़ धूप की जंग में, कीमती वक्त बचाया
ट्रेफिक जाम नहीं, लाल बत्ती सब ग्रीन हुए
छूट गई गाड़ी, अब घंटो का इंतजार नहीं
पहुंचाने मंजिल अपनी तुम्हें, लम्हो में,
फिर से जल्द ही मेट्रो आ जाती है
-------- छूक छूक वाली रेल नहीं, ये रेल बहुत निराली है,

 

यात्री गण कृपया ध्यान दे,
अगला स्टेशन आने को है,
दाँय-बाँय खुलेगे दरवाजे,
पहले ही बताती है
शिक्षित-प्रशिक्षित सेवक संग नवीनतम यंत्रो से
मेट्रो की शान निराली है
लंबे सफर को छोटा कर
अपने यात्रियो घर पहुँचती है
मेट्रो रेल में स्वागत आपका मीठी आवाज आती है
-------- छूक छूक वाली रेल नहीं, ये रेल बहुत निराली है

                                                                                    *** सौण परी 

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

माँ का राजदुलारा बेटा

माँ का राजदुलारा बेटा

ममता भरे स्पर्श से खिला रहा चुनमुन बचपन मेरा
अनकही बहुत सी मन की बातेमाँ मुझसे कर जाती है
जीवन के कितने मीठे सपने  मेरे संग बुन जाती है 
***हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (1)

गीले से सूखा बिस्तर करजाने कितनी बार
कब सोया मैकब हूँ जागामाँ को खबर लग जाती है,
मेरी इसी फिक्र मेमाँ करवट ना ले पाती है
***हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (2)

नासाजी के आलम मेपरवा कर मेरी, माँ ना जाने
सोई नहीं वो कितनी कितनी ही रात
अपनी आधी सी अधूरी नींद मे भी, गहरी रातो मे,
प्यार भरे स्पर्श हाथो से  बार बार मुझे सहलाती है
***हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (3)

घर के अनेकों कामों के बीचपनि अलको पालको की नजर से
माँ बार बार मुझे छु जाती हैमेरी छोटी सी हर हरकत और
एक मुस्कान मेरी पर माँ बलहारी जाती है 
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (4)

चाहे सूखी रोटी या दूध हो, चाहे फिर रसमलाई हो
खाने से पहले माँ ने, मुह का पहला निवाला  मुझे खिलाया है
फिक्र नहीं खुद के खाने कीदुघ मुझे पिलाया है
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (5)

लड़ खड़ाते ते छोटे छोटे कदमो से
गिरा मै जितनी बार, तन पे लगी हुई माटी हटाते हुए,
चींटी मर गईचींटी मर गईदेखो, बार बार मुझ उठाया है,
उंगली पकड़ा अपनीपहला कदम, धरातल पर माँ ने ही मुझे चलाया है
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (6)


तेज हवा और चिलचिलाती धूप में करती अपने आँचल की छाँव है
कोई अंधियारी या बरसाती पानी होमाँ बनती है मेरी छतरी मेरी,
खुद भीगी  पर हर तूफान से माँ ने मुझे बचाया है
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (7)


माँ की आंखो का ताराप्यारा, और दुनियाँ मे सबले न्यारा रूप बस
उसका ही निराला  बेटा राजा है, हर तिरछी नजरों सेपल पल मुझे बचाने को
नजर का टीका हाँ वही काला टीका, अक्सर रोज लगाती है 
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (8)

मेरी तुतली तुतली बोली सेमाँ शब्द मीठा सुनने को
झूठा चिड़ियाँ का पानी मुझे पिलाया है,
क ख ग या हो ए बी सी डी का हर अक्षर
पहला पाठ जीवन का माँ ने ही मुझे सिखाया है
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (9)

गर्भ से लेकर और ज़िंदगी भर, चाहे धड़ी कैसी भी हो
माँ की दुनियाँ में बस मै हूँ, देख हर पल माँ मुझे मंद मंद मुसकुराती है
जीवन पगदंडी के पग पग पर, सुख दुख जीवन के हिस्से है
ऐसा बताते हुए माँ हर बार मार्ग दर्शक बन जाती है
*** हाँ मै हूँ अपनी माँ का बेटामाँ मेरी ही प्यारी है (10)

*** सौण परी *** 





















रविवार, 22 फ़रवरी 2015

बिदाई समारोह

बिदाई नहीं, आज है समारोह
अब आपका समय
आपके परिवार का
जो शायद उनको कम मिला
कुछ समय आपका अपना
खट्टे मिटठे पल जीवन के
रहे आपकी सौगात
ईश्वर चिंतन हो या
पारिवारिक हंसी का माहौल
खुश रहो हमेशा जीवन में
लेकर नया मकाम
भीगे भीगे  नयनो से
और सुंदर कोमल  अहसास
हम सभी करेगे आपको याद
इसी आशा से दे रहे,
प्यार भरी शुभकामना 
*** सौण परी 


अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी
नाम बहुत पहचाना है
राजनेता तो बहुत हुए
कवि रूप में, मर्म
कोमल भावनाओं का
सदा उसने ही जाना है
चाह नही, उसे
निज जीवन सुख की,
मातृ सेवा ही प्रथम भाव
नही लोभ सत्ता का
स्पष्ट, सपाट वाणी ही
आवाज, निश्छल मन की
दोस्त तो, और दुश्मन भी
उसके हुए है कायल
अटल ही, है वो
अटल इरादे रखने वाला
छवि निराली उसकी है
अर्जुन की भांति, कृष्ण मार्ग पर
राष्ट्र हित में चलने वाला
व्यक्तित्व और कलम के
धनी बहुत है अटल बिहारी
भारत रत्न के सच्चे, 
वो है अधिकारी *** सौण परी
 
 


नारी का सम्मान

नारी का सम्मान


नारी प्रकृति का ही रूप है,
माँ जीवन, बहन प्यार
तो बेटी घर की शान है।
नारी का सम्मान जहां
वही धरती महान है। (1)

मान नही तो अपमान न करो
जननी हमारी भी नारी है
हम है उसी का अंश
कुछ नही बस यही सोच कर
नारी का सम्मान करो (2)

इंसानियत पर हावी,
कभी शैतान ना हो
महान नही, तो ना सही,
पर इंसान बनो  (३)

प्रकृति सी सुंदर नारी को
प्यार से सँजो रखोगे जितना
उतने मीठे फल ही पाओगे
पहल हमेशा अपने घर से ही
खुशहाल जब ही हो कर
देश को स्वर्ग बनाओगे *** सौण परी